Budget 2020: रियल एस्टेट की सुस्ती, जानिए क्या है इस बजट से मकान खरीदारों की उम्मीदें
- बजट में होम लाेन पर और राहत की है लोगों को उम्मीद
- पिछले साल सरकार ने रियल एस्टेट के लिए कई ऐलान किए थे
- सरकार के कदमों के बावजूद रियल एस्टेट की सुस्ती दूर नहीं हो पाई है
- होम लोन पर और राहत देकर सेंटिमेंट सुधारा जा सकता है
वित्त मंत्री के बजट से इस साल भी मकान खरीदारों को काफी उम्मीदें हैं. सरकार द्वारा पिछले साल उठाए गए कई कदमों के बावजूद रियल एस्टेट सेक्टर की सुस्ती खत्म होती नहीं दिख रही. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री टैक्स नियमों में ऐसे कुछ बदलाव करेंगी जिससे मकान खरीदारों को प्रोत्साहन मिल सके.
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पिछले साल सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को सुधारने के लिए तमाम कदम उठाए हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले सब्सिडी पर लोन की सीमा बढ़ा दी गई, किफायती मकानों के ब्याज/मूलधन भुगतान पर मिलने वाली टैक्सेबल आय कटौती की सीमा को बढ़ा दिया गया. रिजर्व बैंक के द्वारा एनबीएफसी को नकदी प्रवाह बढ़ाने की कोशिश की गई और मुश्किल में चल रहे प्रोजेक्ट्स के लिए 25,000 करोड़ रुपये का एक फंड बनाया गया.
लेकिन इन सबसे बहुत फर्क नहीं आया है. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और मांग में कमी की वजह से रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट की बिक्री परवान नहीं चढ़ पा रही. बैंक न तो लोन देना चाह रहे हैं और न लोग मकान खरीदने में रुचि दिखा रहे.
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होम लोन प्रिंसिपल पर मिलने वाला टैक्स छूट अलग से हो
कई जानकार यह कहते हैं कि हाउसिंग लोन के मूलधन यानी प्रिंसिपल अमाउंट भुगतापन के बदले छूट मिलती है वह 1.5 लाख के दायरे के भीतर नहीं बल्कि अलग से होनी चाहिए. टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, ‘अभी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत विभन्न मदों में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश के बदले टैक्सेबल आय में कटौती की जाती है और इसी में होम लोन के मूलधन का भुगतान भी शामिल है. इसी डेढ़ लाख के दायरे में कर्मचारियों का पीएफ, न्यू पेंशन योजना (NPS),जीवन बीमा प्रीमियम, बच्चों का स्कूल फीस, एनएससी, पीपीएफ जैसी कई चीजें आती हैं.’